Pitru Paksha 2025: कब शुरू हो रहा पितृ पक्ष? जानिए महत्व और प्रमुख रीति-रिवाज, क्यों जरूरी है पितृ पक्ष

पितृ पक्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जिसमें पूर्वजों के लिए श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं। यह 16 दिनों का समय है, जो इस साल 7 से 21 सितंबर तक चलेगा।

Manali Rastogi
पब्लिश्ड3 Sep 2025, 11:45 AM IST
कब शुरू हो रहा पितृ पक्ष?
कब शुरू हो रहा पितृ पक्ष?(Unsplash)

Pitru paksha 2025: पितृ पक्ष हिंदू पंचांग के सबसे महत्वपूर्ण समयों में से एक है। यह पूर्वजों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। इसमें श्राद्ध और तर्पण जैसे कर्मकांड किए जाते हैं। यह 16 दिनों की अवधि होती है, जिसे सोलह श्राद्ध, महालय, अपरा पक्ष और पितृपक्ष भी कहा जाता है।

यह भी पढ़ें | मराठी गायक राहुल देशपांडे ने 17 साल बाद पत्नी नेहा से की तलाक लेने की घोषणा

इसे आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली लेकिन अशुभ माना जाता है, क्योंकि इसमें मृत्यु से जुड़े कर्म और पितरों के लिए अर्पण किए जाते हैं। इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या (महालय अमावस्या) के साथ समाप्त होगा।

पितृ पक्ष की तिथियां

आयोजनतिथि और समय
इस दिन शुरू हो रहे पितृ पक्ष7 सितंबर 2025
इस दिन खत्म हो रहे पितृ पक्ष21 सितंबर 2025
सर्वपितृ अमावस्या (महालय अमावस्या)21 सितंबर 2025

यह समय भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में आता है, खासकर दक्षिण और पश्चिम भारत में, गणेश उत्सव के बाद। इसे सूर्य के दक्षिणायन (दक्षिण दिशा में जाने) और शरद विषुव से भी जोड़ा जाता है।

यह भी पढ़ें | तेजी से वजन कम करने के लिए डाइट में शामिल करें ये 5 प्रोटीन रिच रोटियां

पितृ पक्ष का महत्व

माना जाता है कि इस दौरान पूर्वजों की आत्माएं धरती पर आती हैं और अपने वंशजों से भोजन और अर्पण स्वीकार करती हैं। इस समय श्राद्ध करने से पितृ ऋण कम होता है और पूर्वजों की कृपा, शांति और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। परिवार इस अवधि में पूरे भाव और श्रद्धा के साथ अनुष्ठान करते हैं ताकि आध्यात्मिक लाभ मिले और पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त हो।

पितृ पक्ष के प्रमुख रीति-रिवाज

भारत के अलग-अलग हिस्सों में रीति-रिवाज अलग होते हैं, लेकिन सामान्य रूप से इनमें शामिल हैं:

  • अनुष्ठान आमतौर पर बड़े बेटे द्वारा किए जाते हैं, और शुरुआत स्नान व शुद्धि से होती है।
  • ब्राह्मणों को सादा भोजन जैसे चावल, दाल और सब्जियां खिलाई जाती हैं।
  • तिल मिले जल का अर्पण करते हुए प्रार्थनाएं की जाती हैं।
  • कपड़े, भोजन दान करना और गाय, कुत्ते व कौवे को खाना खिलाना शुभ माना जाता है।

यह भी पढ़ें | Teachers’ Day 2025: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर क्यों मनाते हैं टीचर्स ड

पितृ पक्ष को लेकर क्षेत्रीय मान्यताएं

  • गया, बिहार: यहां श्राद्ध करना सबसे पवित्र माना जाता है। गंगा घाट पर पितृ तर्पण करने से अधिक पुण्य मिलता है।
  • दक्षिण और पश्चिम भारत: गणेश उत्सव के बाद भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है।
  • उत्तर भारत: नदियों के किनारे और पितरों को समर्पित मंदिरों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं।

यह भी पढ़ें | बारिश के कहर और ट्रैफिक जाम में डूबा गुड़गांव, देखिए तस्वीरें

पितृ पक्ष क्यों जरूरी है?

यह समय हमें अपने पूर्वजों के प्रति कर्तव्य की याद दिलाता है। श्राद्ध और तर्पण करके लोग न केवल आभार जताते हैं, बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली के लिए आशीर्वाद भी मांगते हैं। हालांकि, इस दौरान विवाह, गृहप्रवेश या नए कार्य की शुरुआत अशुभ मानी जाती है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से पितृ पक्ष बेहद महत्वपूर्ण और गहन आध्यात्मिक महत्व रखता है।

Catch all the Business News, Market News, Breaking News Events and Latest News Updates on Live Mint. Download The Mint News App to get Daily Market Updates.

बिजनेस न्यूज़ट्रेंड्सPitru Paksha 2025: कब शुरू हो रहा पितृ पक्ष? जानिए महत्व और प्रमुख रीति-रिवाज, क्यों जरूरी है पितृ पक्ष
More
बिजनेस न्यूज़ट्रेंड्सPitru Paksha 2025: कब शुरू हो रहा पितृ पक्ष? जानिए महत्व और प्रमुख रीति-रिवाज, क्यों जरूरी है पितृ पक्ष