दिवाली 2025 कब मनाई जाएगी: 20 अक्टूबर या 21 अक्टूबर? जानें पूजा विधि, मुहूर्त और तिथि

दिवाली का पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची खुशी देने, बांटने और प्रियजनों से जुड़ने में है। यह अच्छाई की बुराई पर जीत और अंधकार पर प्रकाश का प्रतीक है।

Manali Rastogi
पब्लिश्ड16 Oct 2025, 10:33 AM IST
दिवाली 2025 कब मनाई जाएगी: 20 अक्टूबर या 21 अक्टूबर? जानें पूजा विधि, मुहूर्त और तिथि
दिवाली 2025 कब मनाई जाएगी: 20 अक्टूबर या 21 अक्टूबर? जानें पूजा विधि, मुहूर्त और तिथि

जब अक्टूबर-नवंबर का महीना आता है, तो पूरे भारत में रौनक और उत्साह का माहौल दिखाई देने लगता है। बाज़ारों में भीड़ बढ़ जाती है, मिठाइयों की दुकानों पर मीठी खुशबू फैलती है, और घर-घर में साफ-सफाई व सजावट की शुरुआत हो जाती है। सड़कों पर झिलमिलाती रोशनी, रंग-बिरंगी झालरें और खुशियों की चहक दिवाली के आगमन का संकेत देती हैं।

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लेकिन हर साल की तरह इस बार भी लोगों में यह उत्सुकता है कि दिवाली 2025 आखिर किस दिन मनाई जाएगी। पंचांगों के अनुसार तिथि और मुहूर्त में थोड़ा अंतर देखने को मिलता है, जिससे कई लोग उलझन में पड़ जाते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि दिवाली 2025 की सही तिथि, लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त, धार्मिक महत्व, परंपराएं, व्यंजन और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों से इस पावन पर्व को कैसे मनाया जा सकता है।

दिवाली 2025 तिथि और मुहूर्त (Diwali 2025: Date & Muhurat in Hindi)

जानिए सही तिथि

  • दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
  • इस वर्ष दिवाली मंगलवार, 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2025, रात 10:12 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2025, रात 08:34 बजे

मुख्य पूजा मुहूर्त (लक्ष्मी पूजन):

  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: सायं 06:53 बजे से 08:47 बजे तक
  • प्रदोष काल: सायं 06:25 बजे से 08:57 बजे तक
  • वृषभ काल: सायं 06:53 बजे से 08:47 बजे तक

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जानिए दिवाली का धार्मिक महत्व

अमावस्या का दिन अंधकार का प्रतीक होता है, और दिवाली इस अंधकार को दूर करने वाली रोशनी का उत्सव है। यह दिन माता लक्ष्मी जी, भगवान गणेश जी और कुबेर देव की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, और उनके स्वागत में पूरे नगर ने दीप प्रज्वलित किए थे।

दीपों की यह ज्योति ज्ञान, शांति और सकारात्मकता का प्रतीक है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक दीपक की लौ भी आशा की किरण जगा सकती है। दिवाली अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है जैसे भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की।

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जानिए दिवाली से जुड़ी परंपराएं और रीति-रिवाज

  • दिवाली के दिन लोग अपने घरों की पूजा स्थली में लक्ष्मी, गणेश और कुबेर जी की विधिवत पूजा करते हैं।
  • घर की पूरी सफाई और सजावट की जाती है ताकि माँ लक्ष्मी का स्वागत शुभ और पवित्र वातावरण में हो।
  • दरवाजे पर रंगोली बनाई जाती है और दीप जलाए जाते हैं ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करे।
  • परिवार के लोग एकत्र होकर पूजा, मिठाई बांटना, उपहार देना और भोजन का आनंद लेते हैं।
  • कई लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं। गरीबों को वस्त्र, भोजन या धन दान देना दिवाली का एक महत्वपूर्ण अंग है।

जानिए कहां-कहां कैसे मनाई जाती है दिवाली?

भारत के अलग-अलग हिस्सों में दिवाली की अपनी-अपनी परंपराएं हैं:

  • उत्तर भारत में श्रीराम के अयोध्या आगमन की स्मृति में दीप जलाए जाते हैं और लक्ष्मी पूजा की जाती है।
  • पश्चिम भारत में यह दिन व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन नए खाते (लेखा वर्ष) की शुरुआत इसी दिन होती है।
  • पूर्वी भारत में काली पूजा के रूप में यह पर्व मनाया जाता है, जहां देवी काली की आराधना की जाती है।
  • हर क्षेत्र में भक्ति, उत्सव और आनंद का स्वरूप अलग होते हुए भी, भाव एक ही है और वो है दिव्यता और प्रेम का उत्सव।

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जानिए दिवाली पर बनने वाले व्यंजन और मिठाइयों के बारे में

  • दिवाली बिना मिठाइयों के अधूरी है। ऐसे में दिवाली के लिए काफी पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
  • पारंपरिक मिठाइयों में लड्डू, बर्फी, काजू कतली, गुजिया, मोतीचूर के लड्डू, चकली और नमकपारे का विशेष स्थान है।
  • कई परिवार घर पर ही मिठाइयां बनाते हैं ताकि स्वाद और अपनापन दोनों बना रहे।
  • इन स्वादिष्ट व्यंजनों को रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों में बांटकर मिल-जुलने का माहौल बनता है।

दिवाली पर बनाएं रंगोली

  • दिवाली की सजावट पूरे माहौल को उत्सवमय बना देती है।
  • घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाना शुभ माना जाता है।
  • दीये, मोमबत्तियां और रंगीन कंदीलों से घर जगमगा उठता है।
  • आजकल लोग LED लाइट्स और इको-फ्रेंडली सजावट का उपयोग कर रहे हैं।
  • रंग-बिरंगे पर्दे, फूलों की मालाएंऔर सुगंधित दीपक घर के वातावरण को और पवित्र बना देते हैं।

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कैसे मनाएं पर्यावरण-अनुकूल उत्सव?

  • समय के साथ अब लोग ग्रीन दिवाली की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
  • पटाखों का प्रयोग कम करके प्रदूषण घटाया जा सकता है।
  • मिट्टी के दीये जलाना, रासायनिक रंगों की जगह प्राकृतिक रंगोली रंग इस्तेमाल करना पर्यावरण के लिए बेहतर है।
  • सस्टेनेबल गिफ्ट्स जैसे पौधे, हस्तनिर्मित वस्तुएं या पुनः उपयोग योग्य पैकिंग आज के युग में एक अच्छा विकल्प हैं।
  • इस दिवाली, खुशियां बांटें लेकिन प्रकृति की रक्षा भी करें।

जानिए आध्यात्मिक संदेश

दिवाली केवल बाहरी रोशनी का नहीं, बल्कि आत्मिक प्रकाश का भी पर्व है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में बुरे विचारों, क्रोध और ईर्ष्या के अंधकार को मिटाकर, प्रेम, क्षमा और ज्ञान के दीप जलाएं। यह समय आत्मचिंतन, नये संकल्प और नई शुरुआत का होता है। जैसे दीपक की लौ कभी नहीं डरती अंधकार से, वैसे ही हमें भी अपने जीवन में सत्य और सद्गुण की राह पर अडिग रहना चाहिए।

दिलों को जोड़ने वाला पर्व है दिवाली

दिवाली केवल रोशनी का त्योहार नहीं बल्कि यह दिलों को जोड़ने और रिश्तों में नई गर्माहट लाने का अवसर है। जब घर-घर दीपक जलते हैं, तो ऐसा लगता है मानो हर दिल में आशा की लौ जल उठी हो।

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यह पर्व हमें सिखाता है कि असली खुशी देने, बांटने और अपने प्रियजनों से पुनः जुड़ने में है। बच्चों के साथ दीये सजाना, बड़ों का आशीर्वाद लेना, और जरूरतमंदों की मदद करना यही सच्चे अर्थों में दिवाली का उत्सव है।

जानिए दिवाली पर अमावस्या का महत्व

दिवाली की रात अमावस्या होती है, यानी जब आकाश में चांद नहीं दिखाई देता। यह रात हिंदू धर्म में बहुत खास मानी जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्या के लोगों ने पूरे नगर में दीपक जलाए थे। तभी से दिवाली पर दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई।

अमावस्या की यह रात हमें सिखाती है कि अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, अगर हमारे भीतर विश्वास और सकारात्मकता की रोशनी है, तो हम हर बुराई पर विजय पा सकते हैं। दिवाली का पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत और प्रकाश की अंधकार पर विजय का प्रतीक है।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। मिंट हिंदी इस जानकारी की सटीकता या पुष्टि का दावा नहीं करता। किसी भी उपाय या मान्यता को अपनाने से पहले किसी योग्य विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।)

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