Shardiya Navratri 2025: कब शुरू हो रही नवरात्रि? जानिए पूजा सामग्री लिस्ट, कलश स्थापना विधि और नवरात्र का महत्व

शारदीय नवरात्रि 2025 का आरंभ 22 सितंबर को घटस्थापना से होगा और इसका समापन 2 अक्टूबर को विजयादशमी पर होगा। यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित है और पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

Manali Rastogi
पब्लिश्ड1 Sep 2025, 04:28 PM IST
Shardiya Navratri 2025
Shardiya Navratri 2025

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह उत्सव मां दुर्गा को समर्पित है और पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। साल में चार नवरात्रि आते हैं, जिनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि सबसे प्रमुख माने जाते हैं, जबकि बाकी दो को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

उत्तर भारत और पूर्वी भारत जैसे बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल में शारदीय नवरात्रि बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। नौ दिनों तक भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा, व्रत और प्रार्थना करते हैं।

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शारदीय नवरात्रि तिथि और प्रारंभ

इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार, 22 सितंबर 2025 को कलश स्थापना (घटस्थापना) से होगी। दुर्गा पूजा की मुख्य शुरुआत 28 सितंबर 2025 (महाषष्ठी) से होगी और यह पांच दिन तक चलेगी। इसका समापन 2 अक्टूबर 2025 विजयादशमी को होगा।

घटस्थापना मुहूर्त

नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान घटस्थापना है। 2025 में इसका शुभ समय इस प्रकार है:

  • प्रातः काल मुहूर्त: सुबह 06:09 से 08:06 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: 11:49 से 12:38 बजे तक

माना जाता है कि इस शुभ समय में घटस्थापना करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

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कलश स्थापना की विधि

इस विधि की शुरुआत पूजा स्थान को अच्छी तरह साफ करने से होती है। इसके बाद भक्त मिट्टी से भरे एक मिट्टी के पात्र (घड़े/गमले) में जौ या गेहूं के बीज बोते हैं। एक कलश तैयार किया जाता है जिसमें गंगाजल, हल्दी, चावल, सिक्का और सुपारी डाली जाती है।

कलश के ऊपर आम या अशोक के पत्ते रखे जाते हैं और एक नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर ऊपर स्थापित किया जाता है। फिर मंत्रों और प्रार्थनाओं के साथ कलश को रखा जाता है और भक्त नवरात्रि के व्रत और पूजा करने का संकल्प लेते हैं।

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नौ दिनों तक प्रतिदिन सुबह और शाम पूजा की जाती है। कलश के पास घी के दीपक जलाए जाते हैं। भक्त आरती करते हैं, दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं और कई लोग अखंड ज्योति (निरंतर जलने वाला दीपक) भी जलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शारदीय नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि केवल पूजा-पाठ का पर्व नहीं है, बल्कि यह सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक है। इस दौरान भक्त व्रत रखते हैं, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक की पूजा करते हैं। पश्चिम बंगाल में भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन होता है, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, शोभा यात्राएं और भक्तिमय सभाएं होती हैं।

नवरात्रि पूजा सामग्री

नवरात्रि के दौरान पूजा करने के लिए भक्त कई जरूरी सामग्री तैयार करते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • लाल या पीला कपड़ा
  • चावल
  • रोली
  • हल्दी
  • कुमकुम
  • दीपक (दीया)
  • घी
  • रूई की बत्तियां
  • अगरबत्ती
  • नारियल
  • सुपारी
  • फूल
  • पान के पत्ते
  • कलावा (मौली)
  • चुनरी
  • मिठाई और अन्य भोग सामग्री

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इस साल मां दुर्गा का आगमन

परंपराओं के अनुसार, हर साल मां दुर्गा का आगमन अलग-अलग सवारी पर होता है और उसका विशेष महत्व माना जाता है। इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। हाथी को बहुत शुभ माना जाता है, जो समृद्धि, प्रगति और खुशहाली का प्रतीक है। भक्तों का विश्वास है कि इस वर्ष मां की कृपा से घर-परिवार और समाज में शांति और बरकत बढ़ेगी।

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शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से घटस्थापना के साथ होगी और इसका समापन 2 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ होगा। यह नौ दिन न केवल धार्मिक साधना के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पूरे देश में सांस्कृतिक उत्सव के रूप में भी मनाए जाते हैं। इस साल मां दुर्गा के हाथी पर आगमन को लेकर भक्तगण विशेष रूप से प्रसन्न और उत्साहित हैं, क्योंकि यह सुख, शांति और समृद्धि का संदेश लाता है।

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