रविवार को ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव में अमेरिका के कूदने से पूरी दुनिया की टेंशन बढ़ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार देर रात जानकारी दी कि अमेरिका ने ईरान के तीन न्यूक्लियर साइट्स (फोर्डो, नतांज और एसफाहान) पर बमबारी कर दी है। इस कदम के बाद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बड़ा उबाल आने की आशंका जताई जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ईरान ने जवाबी कार्रवाई की, तो तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा कि “या तो ईरान शांति का रास्ता अपनाएगा या फिर भारी तबाही झेलेगा।” अमेरिका की यह कार्रवाई सीधे मिडिल ईस्ट संकट को और गंभीर बना रही है। ट्रंप ने बताया कि “हमारे सारे प्लेन सुरक्षित लौट आए हैं और फोर्डो पर बम गिराए गए हैं।”
हमले के बाद निवेशकों में बेचैनी है कि ईरान स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज को ब्लॉक कर सकता है। यह रास्ता दुनिया के 25% कच्चे तेल की सप्लाई को संभालता है। जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि तेल के दाम $78 से सीधे $120 प्रति बैरल तक जा सकते हैं।
भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत ने पहले से सप्लाई रूट्स को डाइवर्सिफाई किया है। भारत की कुल खपत में से करीब 1.5–2 मिलियन बैरल हॉर्मुज के रास्ते आता है और बाकी अन्य देशों से। हालांकि उन्होंने माना कि असली असर 23 जून को बाजार खुलने पर दिखेगा।
इस युद्ध का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। न सिर्फ ईरान और इजराइल बल्कि पूरे वेस्ट एशिया के साथ व्यापार में रुकावट आ सकती है।
ईरान अगर इस रास्ते को बंद करता है, तो भारत के 60% गैस और 50% तेल आयात पर असर पड़ेगा। ये रास्ता सिर्फ 21 मील चौड़ा है लेकिन दुनिया के 20% तेल व्यापार के लिए जिम्मेदार है। $10 प्रति बैरल की बढ़त से भारत में महंगाई दर 0.35% बढ़ सकती है।
भारत का वेस्ट एशिया (जैसे इराक, जॉर्डन, यमन आदि) के साथ ₹3.6 लाख करोड़ का वार्षिक व्यापार है। यहां भारत के कुल निर्यात का 34% हिस्सा जाता है। हरियाणा से बासमती चावल का 30–35% ईरान को जाता है, जो इस समय रुका हुआ है क्योंकि युद्ध के दौरान बीमा नहीं मिलता।
अगर तेल महंगा हुआ तो ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ेगी जिससे सब्जियां, फल, दूध, रोजमर्रा की चीजें महंगी हो जाएंगी। इलेक्ट्रॉनिक्स (इजराइल से आयात) और खाद (ईरान से) महंगे होंगे, खेती और मोबाइल जैसे प्रोडक्ट्स की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। सोने की कीमत ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम तक जा सकती है।
एक्सपोर्ट रूट्स प्रभावित होने से लागत बढ़ेगी। महंगाई और फाइनेंशियल प्लानिंग पर दबाव।कंटेनर मूवमेंट और पोत परिवहन में देरी संभव।
GTRI (ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव) की मानें तो युद्ध का असर इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन जैसे देशों के साथ व्यापार पर भी पड़ेगा। भारत का इन देशों से $8.6 अरब का निर्यात और $33.1 अरब का आयात होता है।
ब्रेंट क्रूड 21 जून को 2.33% गिरकर 75.48 डॉलर पर बंद हुआ, जबकि डब्ल्यूटीआई 0.28% गिरकर 74.93 डॉलर पर बंद हुआ। ब्लूमबर्ग ने अपने एनालिसिस में बताया है कि कीमतें $80-$90 रेंज में जा सकती हैं और $100+ भी संभव है अगर ईरान ने स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ को बंद किया।
अगर ईरान और इजराइल के बीच तनाव गहराया और अमेरिका भी इसमें सक्रिय बना रहा, तो भारत को तेल, व्यापार, महंगाई और आम जिंदगी में बड़ा असर झेलना पड़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर इस जंग के चलते ईरान की सरकार गिरती है या सुप्रीम लीडर अली खामेनेई सत्ता से बाहर होते हैं, तो इसका असर 2011 की लीबिया क्रांति से भी बड़ा हो सकता है। इससे सप्लाई बुरी तरह टूट सकती है।